लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश की प्रतिव्यक्ति आय कम होने के लिये पूर्ववर्ती सरकारों को जिम्मेदार ठहराया। योगी ने विधान परिषद में वित्तीय वर्ष 2020-21 के आम बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए बताया कि प्रदेश में इस वक्त प्रतिव्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत के मुकाबले लगभग आधी ही है। मगर हमारी सरकार जब 2022 में अपना कार्यकाल पूरा करेगी, तब तक यह राष्ट्रीय औसत को छूने लगेगी। मुख्यमंत्री ने आंकड़े देते हुए कहा कि नोएडा में प्रतिव्यक्ति आय छह लाख 17 हजार रुपये है, जबकि बलरामपुर की प्रतिव्यक्ति आय महज 3200 रुपये है। उन्होंने कहा कि जिस तरह नोएडा का विकास हुआ, उसी तरह बलरामपुर, चित्रकूट और चंदौली का विकास भी हो सकता था। यह विषमता क्यों है? उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों ने बजट को संतुलित करने का प्रयास नहीं किया, यह विषमता इसीलिये है। मुख्यमंत्री ने पूर्ववर्ती सरकारों पर विकास योजनाओं का लाभ देने में भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए कहा कि कभी-कभी हमें सपा, बसपा और कांग्रेस के लिये सबका शब्द का प्रयोग करना पड़ता है। हम कहते हैं सबका साथ, पूरे प्रदेश का विनाश। योगी ने कहा कि नीति आयोग ने विकास के लिये छह मानक तैयार किये हैं। इनमें स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, सिंचाई एवं जलसंसाधन, क्षमता विकास और वित्तीय समावेशन शामिल हैं। इन सभी पर हमारी सरकार ने मुस्तैदी से काम शुरू किया है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने पूरे देश में 112 आकांक्षात्मक जनपद चुने हैं। उनमें से आठ जिले उत्तर प्रदेश के हैं। ये जिले इस समय विकास के मामले में राष्ट्रीय औसत के करीब हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार बुंदेलखण्ड इलाके में 15 हजार करोड़ रुपये की लागत से हर घर नल योजना शुरू कर रही है। अमेठी समेत 16 जिलों में मेडिकल कॉलेज बना रही है। सरकार की योजना है कि हर ग्राम पंचायत में एक सामूहिक शौचालय का निर्माण हो। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जब उनकी सरकार बनी थी तब राज्य में कुल 16264 बैंक शाखाएं थीं, जो अब 18869 हो गयी हैं। पहले बैंकों में सिर्फ आठ करोड़ 62 लाख खाते थे। आज यह संख्या 16 करोड़ 36 लाख हो गयी है। योगी ने कहा कि हमारे एजेंडा में प्रदेश की 23 करोड़ जनता होनी चाहिये। मैं सबसे अपील करूंगा कि यह बजट सकारात्मक सोच के साथ पेश किया गया है, लिहाजा इसे पारित करने में सभी पक्ष सहयोग करें।