गोरखपुर। तमाम तरह के दावों के बीच हकीकत यही है कि आयुष्मान योजना की हालत प्रदेश में लगातार पतली होती जा रही है। हद तो यह है कि वीआईपी जिलों तक में भी इस योजना को लेकर हद दर्जे की लापरवाही बरती जा रही है। सरकारी आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं। गोल्डन कार्ड बनाने और लोगों को इस योजना का लाभ दिलाने के मामले में जहां मुख्यमंत्री का जिला गोरखपुर 22वें स्थान पर है तो स्वास्थ्य मंत्री का जिला सिद्धार्थनगर 59वें स्थान पर। पीएम मोदी का संसदीय शहर वाराणसी नौंवे स्थान पर है। गोरखपुर-बस्ती मंडल का कोई भी जिला टॉप-10 में नहीं है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि आयुष्मान की कामयाबी को लेकर जिम्मेदार कितने गंभीर हैं। आयुष्मान योजना की शुरुआत 2018 में हुई थी। इसके तहत आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को सालाना पांच लाख रुपये तक का निशुल्क उपचार मिलता है, लेकिन पीएम की महत्वपूर्ण योजना गोरखपुर और बस्ती मंडल में मूर्त रूप नहीं ले पा रही है। बस्ती और गोरखपुर मंडल का एक भी जिला टॉप-10 में जगह नहीं बना पाया है। सबसे खराब स्थिति तो बस्ती जिले की है। बस्ती 67वें स्थान पर है। कुशीनगर 60वें, स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह का जिला सिद्धार्थनगर 59वें, संतकबीरनगर 57वें और महराजगंज 36वें स्थान पर है।
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