पारम्परिक कलाओं के उत्सव 'लोकरंग' का तीसरा दिन मंगलवार 28 जनवरी कव्वाली, नृत्य-नाटिका, जनजातीय और लोक-नृत्य की प्रस्तुतियों से सरोबार रहा। उत्सव की शुरूआत 'देशराग' से हुई, जिसमें सुप्रसिद्ध कव्वाल नियाजी ब्रदर्स और साथियों ने अमीर खुसरो की रचना 'छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके....,' की प्रस्तुति से संगीत सभा का समां बांधा, श्रोता मंत्र-मुग्ध हो गये। इसके बाद कलात्मक अभिव्यक्ति की मिसाल रही आदि शिल्पी में प्रस्तुत नृत्य-नाटिका। इसका निर्देशन भोपाल के चन्द्रमाधव बारीक ने किया। लोक-नर्तको के कलात्मक अभिनय-कौशल से नृत्य प्रेमी काफी प्रभावित हुए।